कल से चंदेरी की एक प्रतिमा का फोटो बार बार व्हाटसअप फेसबुक पर चल रहा है।
जिसमें रावण द्वारा पार्श्वनाथ भगवान की आराधना करते हुए प्रचारित किया जा रहा है। इस सम्बंध में जरा गौर किया जाए तो प्रतीत होगा कि,
पहली बात, जैनागम के अनुसार रावण के दस सिर नहीं थे। दूसरी बात- रावण के समय में पार्श्वनाथ भगवान नहीं थे
तो फिर ये क्या मात्र कारीगर की कल्पना है?
तो सही विवेचना जो जानकारी के अनुसार प्राप्त हुई वो ये है कि, ये रावण नही है, क्षेत्रपाल है। और एक तरफ 5 ग्रह दूसरी और 4 इस तरह से 9 ग्रह है। और आजू-बाजू पद्मावती धरणेन्द्र है।
और 5 ग्रहों के ऊपर एक जिनवाणी है। एवं 4 ग्रहो के ऊपर 2 चरण है जो गुरु के है। इस प्रकार से देव शास्त्र गुरु एक ही प्रतिमा के पर्रिकर में विद्यमान है।