पर्यूषण पर्व का पांचवा उत्तम सत्य धर्म का दिन
जो सत्य है वह मेरा है और जो मेरा है वह सत्य है ऐसा विचार जहां आ जाता है ऐसा भाव जहां उत्पन्न हो जाता है उसे आचार्यों ने सत्य धर्म कहा है:- उपाध्याय श्री मयंक सागर जी महाराज
उज्जैन।।पर्यूषण पर्व का आज गुरुवार को पांचवा सत्य का दिन है सिद्धा क्षेत्र श्री महावीर तपोभूमि उज्जैन मैं विराजित चतुर्मास 2020 मैं उपाध्याय श्री मयंक सागर जी महाराज जी ने अपने प्रवचन में कहा कि जो सत्य है वह मेरा है और जो मेरा है वह सत्य है ऐसा विचार जहां आ जाता है ऐसा भाव जहां उत्पन्न हो जाता है उसे आचार्यों ने सत्य धर्म कहा है जीवन में हर विचार को हर वस्तु को प्राप्त करना बहुत सरल है सत्य की चर्चा करना सत्य को सत्य को सत्य के बारे में पढ़ना बहुत सरल है लेकिन सत्य से प्रकाशित होना सत्यप्रकाश में पहुंचना बहुत मुश्किल है आचार्य भगवंत कहते हैं सज्जनों का जो हित करता है उसे सत्य कहते हैं संसारी प्राणी के लिए सत्य की पकड़ अगर हो जाए सत्य को स्वीकार कर ले सत्य को सुनना प्रारंभ कर दें तो आज उसे आचार्य करते हैं वह सत्य तुम्हारे लिए भगवान के रूप में प्रकट हो जाएगा फिर तुम्हें किसी मंदिर में भगवान को संभालने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी फिर तुम्हें किसी धार्मिक स्थान का सहारा लेकर भगवान को खोजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तुम्हारे ह्रदय में भावना में मन में सत्य होगा वैसे तुम्हारे विचार होंगे और सत्य के अंदर भगवान विराजमान होंगे अगर आपको रावण कहीं मिल जाए तो उससे पूछना सत्य क्या है आज भी यही कहेगा जो सत्य है जो जिनेंद्र भगवान ने कहा है रावण कहेगा कि मुझे लेकिन मैं सत्य को समझ नहीं पाया मैंने सत्य को स्वीकारा नहीं इसलिए मैं नर्क में हूं प्रत्येक विचार के पीछे सत्य लगा हुआ रहता है अगर आप सत्य बोलना प्रारंभ कर दें तो आपके मन में जो सत्य बैठा है वह बोलता है कि तुम गलत कर रहे हो आप गलत गलत कार्य करने के लिए कदम उठाते हो तो सत्य तूने रोकता है मानो या ना मानो यह सत्य तुम्हें हरपल सतर्क करता है उसी सत्य ने ऋषभदेव को नेमिनाथ को पांडवों को राम को सतर्क किया उन्होंने सत्य को स्वीकार किया तो संसार से मुंह मोड़ कर सिद्ध अवस्था को प्राप्त हुए अपना कल्याण कर गए अपना हित कर गए क्यों क्योंकि सत्य को स्वीकारा था रावण ने सत्य को स्वीकार नहीं किया तो आज वह नरक में तड़प रहा है पछता रहा है कि मैंने उस समय साधु-संतों को भगवान की वाणी को सत्य को स्वीकार नहीं किया इसलिए मेरी दुर्दशा हो रही है हमारे आचार्य भगवंत कहते हैं कि भले ही तुम पूजा पाठ कर लो स्वाध्याय कर लो ध्यान कर लो अगर तुम्हारे अंदर सत्य नहीं उतरता है तो समझना तुम्हारा सब करना बेकार असत्य हमारे मन को पवित्र और उज्जवल निरमल नहीं बना सकता वहां से छल कपट माया चारी लोभ राग द्वेष समाप्त नहीं होंगे तबतक सत्य 3 काल में भी हमारे अंदर प्रवेश नहीं कर सकता असत्य रूपी दर्पण में तुम कभी भी असली चेहरे को नहीं देख सकते एक लड़का हमेशा झूठ बोलता था इसीलिए उसे राज्य से निकाला गया वह दूसरे देश में राजा की शरण में चला गया मेरी झूठ बोलने की आदत है उस पर राजा बोला कि मेरे देश में झूठ बोलने के लिए मनाई है तो उस पर वह लड़का बोलता है कि मैं साल में एक बार ही झूठ बोलूंगा उससे ज्यादा नहीं बोलूंगा राजा को लगा कि साल में एक बार तो झूठ बोल रहा है तो बोलने दो क्या बोलेगा यहां ऐसा इसलिए उस लड़के को रख लिया 4 - 6 महीने गुजर जाने के बाद वह राजा जी को बोलता है राजा जी राजा जी आपने इस रानी शादी क्यों की उसपर राजाजी बोलते है क्यों क्या हुआ वह रानी नागिन है कभी भी आपको काट सकती है आपसे धोका कर सकती है अगर विश्वास न हो तो आज रात परीक्षा कर के देखना ऐसा बोलकर वह राणीजी के महल में जाकर कहता है कि राणी जी राणी जी आपने राजाजी से शादी क्यों की उसपर राणी जी बोले क्यों क्या हुआ वह लड़का बोलता है कि राजा तो नमक गोला है अगर आपको झूट लगे तो आज रात आप परीक्षा करके देखना राजा जी के पीठ पर चाट कर देखना इस तरह दोनों जगह झूट बोलकर वह लड़का वहा से चला गया रात में राजा राणी सोते है तब राजा जी ने सोने का बहाना किया एवम् रात को बारा बजे राणी राजा जी के पीठ को चाटने लगी राजा को लगा कि सच में राणी तो सच में नागिन है तब राजा अपनी तलवार निकाल कर राणी को मारने के लिए उठा राणी वह से भाग गई दूसरे दिन सुबह राजा राणी मिलते है तो राजा कहता है तू नागिन है उसपर राणी बोली आप भी तो नमक का गोला हो तो दोनों एक दूसरे से पूछते है किसने कहा तो राजा जी कहते है मुझे तो उस लड़के ने कहा राणी जी भी कहती है मुझे भी उसी लड़के ने कहा इस कहानी का सार यही है कि साल में एक दिन झूट बोलने का परिणाम कितना नुकसान कितनी हिंसा हो जाती तब हम हमेशा झूट बोलेंगे तो कितना बड़ा नुकसान होगा यह सोचो हिंसा झूट चोरी कुशील परिग्रह यह असत्य है अहिंसा सत्य अचौर्य ब्रह्मचर्य अपरिग्रह यही सत्य है इस सत्य स्वीकार करे इस सत्य स्वीकार करने वाला परमात्मा बन सकता है
शुक्रवार को उत्तम संयम एवं धूप दशमी का दिन है इसे सुगंध दशमी भी कहा जाता है इस दिन दही का त्याग किया जाता है
सभी मंदिरों में जिनालयों में भगवान के समक्ष शास्त्री जी के समक्ष धार्मिक ग्रंथों के समक्ष धूप चढ़ाई जाती है
संपूर्ण जानकारी डॉ.सचिन कासलीवाल ने दी
डॉक्टर सचिन कासलीवाल उज्जैन 94251 95544