जैन धर्म के ०६वें तीर्थंकर रहें भगवान *पदम प्रभु* का जन्म कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन इक्ष्वाकु कुल में कोशाम्बी नगरी मे हुआ था,प्रभु के पिता का नाम *श्रीधर* तथा माता का नाम *सुसीमा* था,प्रभु की देह का रंग *लाल* रंग का था,प्रभु का प्रतीक चिन्ह *कमल* का पुष्प था जिस वजह से प्रभु का नाम *पदम प्रभु* कहलाया.. *मोक्ष कल्याणक* प्रभु ने साधु साध्वी श्रावक श्राविका नामक चार तीर्थों की स्थापना की और तीर्थंकर कहलाए,प्रभु के १११ गणधर थे उसके पश्चात फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी के दिन प्रभु ने निर्वाण प्राप्त किया। प्रभु के चरणों में बारम्बार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
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सावन की पहली सोमवारी पर शाम चार बजे ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से शाही ठाठ बाट से भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। भगवान मनमहेश रूप में चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे
• डॉ.सचिन कासलीवाल

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